राष्ट्रमाता जीजाऊ
स्वराज का निर्माण कराने
उसने हुंकार भरी थी।
वह राष्ट्रमाता,राजमाता
वीरमाता जीजाऊ थी।।
सुनो भारत के वीर सपूतो
गाथा सुनाऊ स्वराज जननी की।
राष्ट्रमाता,राजमाता
वीरमाता जीजाऊ की।।
सन १५९८ मे म्हालसाराणी की
कोख से जन्म हुआ जीजाऊ का।
सिंदखेड मे हाती से मिठाई बांटी
लखुजीराजे नाम शूर पिताजीका।।
हातो मे तलवार लेकर वह
बचपन मे खेली थी।
युध्दशास्ञ की नीती उन्होंने
बचपन मे ही सीखी थी।।
सत्ता संघर्ष की लडा़ई मे
मरते मिटते मराठा थे।
जीत का जश्न मनाने वाले
क्रुर मुगली राजा थे।।
अपने लोगों का खुन देख कर
खौल उठी जीजाऊ।
संकल्प किया मन में उन्होंने
इस भुमि पर स्वराज का केसरिया लहराऊ।।
शूरवीर शहाजी राजे से
ब्याह हुआ जीजाऊ का।
दोनों ने ही दृढ़ निश्चय किया
स्वराज के निर्माण का।।
सब तरफ था अंधकार छाया
नही थी उम्मीद की किरण।
पुरे हिंदुस्तान मे छाया था
मुगलो का जुलमी शासन।।
करने इस स्वराज का निर्माण
शिवनेरी पर सुर्योदय हुआ।
जीजाऊ की पावन कोख से
शिवाजी का जन्म हुआ।।
युध्द,नीती,दंड,विधान सीखा के
शिवबा को तैयार किया।
पुना की शापित धरती पर
सोने का हल चला दिया।।
देख कर इस स्वराज का निर्माण
माटी के पुञ जाग गये।
खेती कर के लड़ने वह
स्वराज का मावला बन गये।।
जीजाऊ की नीती से शिवबाने स्वराज का निर्माण किया।
दख्खन की इस भुमि पर
केसरिया लहरा दिया।।
इस स्वाभिमानी चिंगारी से औरंगजेब के तख्त हिल गये।
जीजाऊ के आशीर्वाद से
शिवबा छत्रपती बन गये।।
स्वराज का छञ देख के
राजमाता धन्य हुई ।
सन १६७४ मे उनकी
प्राण ज्योत बुझ गई।।
स्पर्धकाचे नाव-संदिप रंगनाथ डाके
वय-२४
पत्ता-सिताई निवास,बाजार रोड,वालुर ता.सेलु जि.परभणी पोस्टल कोड ४३१ ५०३
मो.नं.(whatsapp) ९९२३५३२३८२
This is copyright content of sandip rangnath dake ©
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
-
जन्माचे गावं नाही,घराचा पत्ता नाही,मतदान नाही,आधार नाही,रहीवाशी नाही,शिक्षण नाही अशी अवस्था आहे येथील भटक्या जमातींपैकी एक असलेल्या ...
-
बारव होय...आपल्या मराठवाड्यात प्राचीन मंदीरांच गाव आहे.(Village of Temple) जिथे ३६० मंदीरं होती.धक्का बसलाना हे ऐकुन.पण हे खरं आहे...
-
Pingaleshwar Mahadev Temple(Shivlinga Temple) परभणी पासुन १० कि.मी अंतरावर पिंगळी हे गाव आहे.पिंगळी स्टेशन म्हणुन सुद्धा हे गाव ओळखले ज...
No comments:
Post a Comment